Last modified on 22 मई 2018, at 16:26

पिल्ला पालूँगा / उषा यादव

माँ, मैं यह पिल्ला पालूँगा।
नाली में कूं-कूं करता था,
बेचारा सबसे डरता था।
मुझे देख दुम लगा हिलाने,
पीछे-पीछे मेरे आने।
दूध जरा-सा दे दो ना माँ,
मैं, इसके आगे डालूँगा।
माँ, मैं यह पिल्ला पालूँगा। ।

भले सड़क से इसे उठाया,
बिन पूछे मैं घर ले आया।
पर है कितना भोला-भाला,
गंदा नहीं, रंग है काला।
थोड़ा-सा साबुन दे दोगी,
तो मैं इसको नहला लूँगा।
माँ, मैं यह पिल्ला पालूँगा।

थोड़ी –सी दिक्कत सह लो माँ,
बस दो दिन तुम चुप रह लो माँ,
इस शेरु की देख –भाल कर,
सही आदतें सभी डालकर,
घर का चौकीदार,दोस्त मैं।
अपना चिलबिल्ला पालूँगा।
माँ, मैं यह पिल्ला पालूँगा।