राजाजी की रानी चली, पीपली के नीचे
वहाँ रानी जाकर क्या करे कि पीपल में जल सींचे।
दिन था वह गणगौर का चली चहेली साथ।
हँसती गाती जा रही, जल की मटकी हाथ।
1930
राजाजी की रानी चली, पीपली के नीचे
वहाँ रानी जाकर क्या करे कि पीपल में जल सींचे।
दिन था वह गणगौर का चली चहेली साथ।
हँसती गाती जा रही, जल की मटकी हाथ।
1930