नीलाकाश के शरीर से
साँस सी निकलकर
यह चंद्र-कला मेरी पृथ्वी में
जीवन डाल रही है।
हिम से धवल गिरि श्रृंगों पर
यह भक्तों के पवित्र मानस में
बसी हुई पूण्य-ज्योति के समान है।
नीलाकाश के शरीर से
साँस सी निकलकर
यह चंद्र-कला मेरी पृथ्वी में
जीवन डाल रही है।
हिम से धवल गिरि श्रृंगों पर
यह भक्तों के पवित्र मानस में
बसी हुई पूण्य-ज्योति के समान है।