Last modified on 9 नवम्बर 2009, at 02:22

पुनर्जन्म / अवतार एनगिल

सुबह के सपने में
दो नीले प्रेत
अपनी-अपनी परछाईयों से लड़ते हैं
और दिशा भ्रमित यात्री :
आधा सोया
आधा जगा
चौंधियाती धूप सने रास्तों पर
भटकता रहा

अतीत के युग
सिमट कर
वर्तमान के पल बने
और भविष्य के भूतों ने
दी उसके माथे पर दस्तक

प्रेत बोलाः
युग पलों में
और दूरियाँ पगों में मापकर
तुमने आत्महत्या की है

जाग आई तो चाय का प्याला लाई
तब----
तेरी आँखों की जोगिया चाय में रचकर
मैंने कहाः
पुंर्जन्म हुआ है मेरा,


सपने पर आधारित