वक्त की एक और ज़ल्लादी तो देखिये
अब तो नींदें भी गज़ब हुई हैं यारों
एक भी नया सपना नहीं आता
पुरानें ख्वाबों से ही काम चलाये जा रहें हैं
वक्त की एक और ज़ल्लादी तो देखिये
अब तो नींदें भी गज़ब हुई हैं यारों
एक भी नया सपना नहीं आता
पुरानें ख्वाबों से ही काम चलाये जा रहें हैं