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पैसा / महावीर प्रसाद ‘मधुप’

इस दुनिया के मेले में पैसे में सब सामान बिके।
पैसे में शैतान बिके, हैवान और इन्सान बिके॥

पैसे में ताक़त बिकती है, जिस्म बिके और जान बिके।
पैसे में पत्नी बिकती है, पैसे में सन्तान बिके॥

पैसे में उपचारक, दवा चिकित्सा और निदान बिके।
पैसे में श्रम-सेवा सुख ऐश्वर्य और मधुपान बिके॥

पैसे में तप अनुष्ठान, पैसे में सिद्धि महान बिके।
पैसे में सब धर्म-कर्म औ दया-हया कुल कान बिके॥

पैसे में बिक रहे पुजारी, पंडित चतुर सुजान बिके।
पैसे में सब शेख़-मौलवी वाइज़ वेद-कुरान बिके॥

आन-बान बिकती पैसे में, दीन और ईमान बिके।
पैसे में विद्या बिकती, नादान और मतिमान बिके॥

पैसे में नेता अभिनेता, पैसे में सम्मान बिके।
पैसे में कानून-कचहरी, संसद और विधान बिके॥

पैसे में मानवता बिकती, पैसे में वरदान बिके।
पैसे में इ़ज्ज़त बिकती है पैसे में ही शान बिके॥

पैसे में कवि, क़लम, काव्य आख्यान और व्याख्यान बिके।
पैसे में भाषण-सम्भाषण गीत-गज़ल स्वर-तान बिके॥

पैसे में बिक रही कला, पैसे में न्याय-विहान बिके।
पैसे में योगी-महन्त, पैसे में श्रद्धावान बिके॥

पैसे में बिकता नवयौवन, पैसे में गुण-ज्ञान बिके।
पैसे में ही सुयश बिके, पैसे में गौरव-गान बिके॥

पैसे में बिकतीं उपाधियाँ, पैसे में इमकान बिके।
पैसे में सिंहासन बिकते, पैसे में उत्थान बिके॥

पैसे में विश्वास बिके, पैसे में गर्व-गुमान बिके।
पैसे में सब कुछ बिकता है, भक्त और भगवान बिके॥