इक पंछी परेवा
रंगीन परों वाला
वादी में मोहकता की
उड़ता फिरता है ।
दौड़ो तो
पकड़ने को,
भागता है ।
कभी-कभी
अयाचित अनचाहा
घुसता है कमरे में
हकालो तो बार-बार
मँडराता है
अहेतुक
टीसता है ।
इक पंछी परेवा
रंगीन परों वाला
वादी में मोहकता की
उड़ता फिरता है ।
दौड़ो तो
पकड़ने को,
भागता है ।
कभी-कभी
अयाचित अनचाहा
घुसता है कमरे में
हकालो तो बार-बार
मँडराता है
अहेतुक
टीसता है ।