आ किसी तिरस
जिकी बुझै ही कोनी।
जित्तो पीवूं
उत्ती ही बढ़ जावै!
हद है कदै-कदै तो
आ म्हारै कांधै चढ़ जावै!
अर म्हारै खातर -
उदासी रा
गहरा क्षण गढ़ जावै!
आ किसी तिरस
जिकी बुझै ही कोनी।
जित्तो पीवूं
उत्ती ही बढ़ जावै!
हद है कदै-कदै तो
आ म्हारै कांधै चढ़ जावै!
अर म्हारै खातर -
उदासी रा
गहरा क्षण गढ़ जावै!