शब्द इतिहास की
भीड़, गमक, मूर्च्छना में
प्रसरित होते हैं
जंगल, नदी, पहाड़, परिवेश और संस्कृति को
रोमांच होता है
ठूँठ और वीरान का
एक नन्ही दूब
एक सदी-हवा मुस्कुराकर
सूरज को टेस करती है
शब्द इतिहास की
भीड़, गमक, मूर्च्छना में
प्रसरित होते हैं
जंगल, नदी, पहाड़, परिवेश और संस्कृति को
रोमांच होता है
ठूँठ और वीरान का
एक नन्ही दूब
एक सदी-हवा मुस्कुराकर
सूरज को टेस करती है