शीशे का एक जार टूटा है
एक हाथ छूटा है कोमलतम गाल पर अभी
चंचलता का काँचपन टूटा है
घर तो एक प्रजातन्त्र का नाम था
बार-बार कहा गया था कि
जनता राज्य में ऐसे विचरे
जैसे पिता के घर में पुत्र
प्रजातन्त्र टूटा
एक मिथक की तरह...
शीशे का एक जार टूटा है
एक हाथ छूटा है कोमलतम गाल पर अभी
चंचलता का काँचपन टूटा है
घर तो एक प्रजातन्त्र का नाम था
बार-बार कहा गया था कि
जनता राज्य में ऐसे विचरे
जैसे पिता के घर में पुत्र
प्रजातन्त्र टूटा
एक मिथक की तरह...