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प्रतीक्षा / मनोज कुमार झा

देह छूकर कहा तूने
हम साथ पार करेंगे हर जंगल
मैं अब भी खडा हूँ वहीं पीपल के नीचे
जहाँ कोयल के कंठ में काँपता है पत्तों का पानी।