क्या तुम ईश्वर हो
या फिर ईश्वर होने का
रचा है प्रपंच?
वे बताते हैं-
हम हरिजन है
हरिजन- यानि हरि के जने
तो फिर हम और तुम
सजातीय हुए
फिर तुम्हारी आराधना और
हमारा तिरस्कार क्यों?
आखिर यह प्रपंच क्यों?
क्या तुम ईश्वर हो
या फिर ईश्वर होने का
रचा है प्रपंच?
वे बताते हैं-
हम हरिजन है
हरिजन- यानि हरि के जने
तो फिर हम और तुम
सजातीय हुए
फिर तुम्हारी आराधना और
हमारा तिरस्कार क्यों?
आखिर यह प्रपंच क्यों?