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प्रलाप/ तस्लीमा नसरीन

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कभी किसी दिन समुद्र के पास जा कर एक घर बनाऊँगी
और कभी जी में आता है कि पहाड़ के पास

ऐसे एकाकी निर्वासन के आकाश से टपकती है शून्यता
कुहासे के उतरने पर अथाह जल में भीग-भीगकर
मैं ले आऊँगी कँपकँपी वाला बुखार।

मुझे न सही, तुम देखने आना मेरा बुखार
लोग बीमार को देखने भी तो आते हैं।


मूल बांग्ला से अनुवाद : मुनमुन सरकार