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प्राण कोकिल / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल

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ऐ मेरे प्राणों की कोकिल
कूको ! कूको! कूको
पुलकित कर दो सारे जग को
इस मधुवन के प्रिय पग-पग को
कंपित स्वर से आज लुभा दो
इस मधुवन के सरस विहग को
रसमाती पुलकित हो कोकिल
ऐ री कुछ तो बोलो
ऐ मेरे अन्तर की कोकिल
बोलो! बोलो! बोलो !