Last modified on 8 अगस्त 2019, at 14:55

प्रीति / कुमार मुकुल

चौथाई दरवाजा खोल
निमि‍ष भर नेह से निहारा क्‍या

हारा गया मैं

जीतता ही
तो जीतना कहाता

लहर भर पूरा देखा भी न था
और पटल पर पाटल सा चेहरा
उग-उग आता है।