Last modified on 28 अक्टूबर 2009, at 09:51

फिर कभी / अशोक चक्रधर

एक गुमसुम मैना है
अकेले में गाती है
राग बागेश्री ।

तोता उससे कहे
कुछ सुनाओ तो ज़रा
तो
चोंच चढ़ाकर कहती है
फिर कभी गाऊँगी जी ।