पैसों की चिकनी फिसलन भरी राहों पर
अच्छे-अच्छों को फिसलते देखा है।
अंगद से पाँव के दंभ को भी यहीं
मिट्टी सा बिखरते देखा है।
अचल पर्वत को भी इन्हीं
राहों पर हमने सरकते देखा है।
पैसों की चिकनी फिसलन भरी राहों पर
अच्छे-अच्छों को फिसलते देखा है।
अंगद से पाँव के दंभ को भी यहीं
मिट्टी सा बिखरते देखा है।
अचल पर्वत को भी इन्हीं
राहों पर हमने सरकते देखा है।