बंजारे लापता नहीं हैं
पर उनके पते नहीं हैं
शहरों और क़स्बों में
जहाँ भी रहते हैं वे
बिना पतों के रहते हैं
पता होने की हर सुविधा से वंचित
बंजारे
जगह छोड़ते हैं जब
वे छोड़ जाते हैं वहाँ
चूल्हे की दो-चार ईंटें
कुछ अधजली लकड़ियाँ
मिट्टी के फूटे हण्डे
और कमरे भर जितनी
लिपी-पुती जगह।