बच्चे
फाड़ सकते हैं
किसी कविता के पन्ने,
तोड़ सकते हैं
किसी देव की मूरत,
फेंक सकते हैं पत्थर
मस्जिद की ओर।
पर बच्चे
नहीं जानते
सांप्रदायिक होना।
1988
बच्चे
फाड़ सकते हैं
किसी कविता के पन्ने,
तोड़ सकते हैं
किसी देव की मूरत,
फेंक सकते हैं पत्थर
मस्जिद की ओर।
पर बच्चे
नहीं जानते
सांप्रदायिक होना।
1988