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बड़ी-बी / अनिरुद्ध उमट

बड़ी-बी दरवाजा खोलो
तुम्हारा पान
घुँघरू, खत लाने में हुई मुझसे देरी बहुत

'हम नहीं जानते तुम कौन हो

बड़ी-बी हाथ में खत लिये
मुंँह में पान चबाए
छमछम करती दहलीज पर आ
हैरान थी

'हमने अपने मरने का दिन तय कर रखा था
हमने समझा वह आ गया है

कहती बड़ी-बी मेरी आँखों में झांक रही थी

'ठीक है गडढा ठीक ही खुदा है

कहती वे उतरीं और एक मुट्ठी मिट्टी
हमें दे गयीं