गाँव से शहर जाने वाले रास्ते पर
दोनों तरफ मिलता हमें
बबूल
ख़तरों से आगाह करता हुआ
उसके रोम-रोम में भरा रहता कसैलापन
बीच-बीच में अनाम फूलों ओर घास की झाड़ियाँ रहती
उसकी टहनियों से हम दतवन करते
काँटों से बच-बचाकर चलते हुए
हम शहर पहुँचते
बबूल गाँव से ज़्यादा हमें यहाँ काम आता ।