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बरसां पछै / राजूराम बिजारणियां

बरसां पछै.!

देख आवता माणस जात
पाळ रुखाळो
जूनो खेजडो़
कर कर चौड़ी छाती
लांबा करतां हाथ
करी जुहार
अंवेरी निंमझर..!!

नैणां ढळक्यो नेह
होवतो गळगळो
धोया पग
गुवाळियै रा
मुटळाई रै जो‘ड़ै.!