अबके कैसी बरखा आई
कि छत पर बरसता लम्बा सावन
अपना सारा वेग
भादो के कन्धे पर बहा गया
और कमरे के सैलाब में
बचाते रहे हम
यादों की पोटलियां।
अबके कैसी बरखा आई
कि छत पर बरसता लम्बा सावन
अपना सारा वेग
भादो के कन्धे पर बहा गया
और कमरे के सैलाब में
बचाते रहे हम
यादों की पोटलियां।