तारें हो रहे हैं बेपर्द
झरते हैं पठारों पर सितारों के लिबास
ज़रूर आएंगे तीर्थयात्री
और खोजेंगे
आर्तनाद
कल के बुझे हुए अलाव
अनुवाद : गुलशेर खान शानी
तारें हो रहे हैं बेपर्द
झरते हैं पठारों पर सितारों के लिबास
ज़रूर आएंगे तीर्थयात्री
और खोजेंगे
आर्तनाद
कल के बुझे हुए अलाव
अनुवाद : गुलशेर खान शानी