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बाँस / ध्रुव शुक्ल

बाँस पक गए हैं
उन्हें छप्पर पर बिछा दो
खपरे छा दो
एक टोकनी बुन लो
अपने मन की चीज़ें भरो
कचरा भरकर फेंको
एक काँवर बना लो
कन्धों पर रखो और चल दो
पुल बनाकर पार हो जाओ

इससे पहले कि
बाँस बेसुरे हो जाएँ
और जल मरें
उनकी गाँठों को काट दो
छोटी-छोटी बांसुरियाँ बना लो
पूरे जंगल में सुर भरो