बाज़ार जानता है
कविता उठाती है
जो प्रश्न
उत्तर उन के
अखबारों में
समाचारों में
अक्सर नहीं मिला करते
वैसे पढ़ना सुनना
नितांत निजी विकल्प है।
बाज़ार जानता है
कविता उठाती है
जो प्रश्न
उत्तर उन के
अखबारों में
समाचारों में
अक्सर नहीं मिला करते
वैसे पढ़ना सुनना
नितांत निजी विकल्प है।