सिर्फ़ दूर होने से
धरती से अलग नहीं हो जाता बादल
जब भी सघन होती है
स्मृतियों की उमस
वह मूसलाधार बारिश करता है
धरती पर प्रेम की
इस तरह वह धो देता है
मन की झाड़ियों पर जमी
उदासी और भ्रम की धूल
और उमंग की पत्तियों को
और भी हरा बना देता है