सूरज रै सोनै रो भूखो
समदरियै रो खार,
मन मीठो कर बादळियो बण
जा पूग्यो गिगनार,
खाई चुगली पून, कोरड़ो-
बिजली रो कर त्याग,
कूटण लाग्यो सूरज-
ढळकी आंसूड़ा री धार,
काढ़ धर्यो चुपचाप बापड़ो
राम धणख रो हार,
लाजां मरतो गल्यो ज्णां ही
छेकड़ छूटी लार।