रात भर बारिश होती रही
और बारिश में भीगती रही धरती
भीगते रहे पौधे
अंधेरा भीगता रहा
और कांपता रहा थर -थर
बारिश की रात में बिजली चमकी
रोशनी कौंधी
और गुम हो गयी रोशनी
रोशनी गुम हो गयी और
राम भर नहीं रहा अता-पता चाँद का
बारिश खुली और रात ढली
तो चूल्हे में अँगीठी सजायी रामदियाल चाय वाले ने
चूल्हे से धुआँ उठा घनघोर
और रामदियाल की आँखें बरसीं
जब सूरज चमका
बारिश का पानी चमका, कादो -कीचड चमका
नुक्कड पर वैद्य की आंखें चमकीं
सूरज ने घूम घूमकर जायजा लिया बारिश का
घटा -नफा जिसका जितना था
उसने नोट किया
और थककर आकाश का ओट लिया
फिर घिर आयी रात
फिर छाये बारिश के खुशी -डर
अर्द्धस्पष्ट खुशी के बिस्तरों में दुबके कुछ लोग
कुछ लोगों ने इन्तजार की चादर तानी
कुछ लोगों ने मुआवजे के
मुआवजे के आधे अधूरे बकाये
दर्ज किये अपनी अपनी डायरी में
कवियों ने इसी दुख को
लिखा है अपनी -अपनी शायरी में