बाहर की बहुत बोलती
लोरझोर,
लाटा-फाँदा करती
भाषा से अलग
बिल्कुल ख़ामोश
साफ, मगर तेज़
जलती-जलाती
भाषा
रहती है मेरे भीतर
एक दिन
आऊँगा
कविता के पास
इसी भाषा के साथ ।
बाहर की बहुत बोलती
लोरझोर,
लाटा-फाँदा करती
भाषा से अलग
बिल्कुल ख़ामोश
साफ, मगर तेज़
जलती-जलाती
भाषा
रहती है मेरे भीतर
एक दिन
आऊँगा
कविता के पास
इसी भाषा के साथ ।