Last modified on 1 सितम्बर 2014, at 14:41

बिछुए / अविनाश मिश्र

वे रहे होंगे
मैं उनके बारे में ज़्यादा नहीं जानता
मैं उनके बारे में जानना नहीं चाहता
उनके बारे में जानना स्मृतियों में व्यवधान जैसा है