बिछुड़ने के बाद तीस साल
कोई कम अंतराल नहीं
मिल भी जाएं तो पहचानना मुश्किल
पहचान भी जाएं तो बच निकलने से बढ़िया कुछ न लगे
याद करो तीस बरस पहले के जीवन को
जिसे अभी खिलना था
याद करो उसके तीस बरस बाद को
जब यह जीवन खिल भी चुका और झर भी गया
कुछ और झरना शेष है
तुम्हारा जीवन भी इतना तो झर ही गया
कौन जाने समूचा ही झर गया हो
हवा बुहार ले गई हो यादों के अवशेष भी
पर जैसे कि मैं किसी अनहोनी का शिकार नहीं हुआ
और जीवित हूं
तुम्हारे जीवित होने के कामना करता हूं
तुमने इस संसार में रुचि बनाए रखने के लिए
क्या-क्या जतन उठाए
जैसे कि मैंने उदासियों को
किताबों की उदासियों के साथ घुला मिला दिया
नहीं, कोई पीड़ा नहीं
मलाल जैसा कुछ भी नहीं
पर जीवन में यादों को उगाना भी कम मुश्किल नहीं
याद करके रो सकने की तो बात ही दूसरी है