आओ,
इस बगीचे में खिले
फूलों की तारीफ से पहले
सलाम करें उसको
जो खाद बनी इनके लिए।
जिसके नाम मात्र से
नाक-भौं सिकोड़ते हैं हम,
उसी के दम पर तो
महक रही है
यह बगिया।
2005
आओ,
इस बगीचे में खिले
फूलों की तारीफ से पहले
सलाम करें उसको
जो खाद बनी इनके लिए।
जिसके नाम मात्र से
नाक-भौं सिकोड़ते हैं हम,
उसी के दम पर तो
महक रही है
यह बगिया।
2005