यह जो बाबा
हुक्का गुडग़ुड़ा रहा है,
बैठा-बैठा सबको बता रहा है-
'लकड़ी के चिलमिए तो
बड़े जल्द ही
कजळाते हैं,
ये मींगणे ही हैं जो
घंटो-घंटों
सजळाते हैं।'
2005
यह जो बाबा
हुक्का गुडग़ुड़ा रहा है,
बैठा-बैठा सबको बता रहा है-
'लकड़ी के चिलमिए तो
बड़े जल्द ही
कजळाते हैं,
ये मींगणे ही हैं जो
घंटो-घंटों
सजळाते हैं।'
2005