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बीजमन्त्र / प्रज्ञा रावत

जितना सताओगे
उतना उठूँगी
 
जितना दबाओगे
उतना उगूँगी

जितना बन्द करोगे
उतना गाऊँगी

जितना जलाओगे
फैलूँगी

जितना बाँधोगे
उतना बहूँगी

जितना अपमान करोगे
उतनी निडर हो जाऊँगी

जितना प्रेम करोगे
उतनी निखर जाऊँगी।