Last modified on 27 नवम्बर 2008, at 21:30

बीज-2 / निर्मल आनन्द

यह बीजों की
यात्रा का मौसम है

पक कर फूट रहे हैं सेमल
रेशम की तरह मुलायम
बगुलों से झक्क सफ़ेद पंख लिए
हवा में तैर रहे हैं बीज

एक जंगल से दूसरे जंगल
एक पहाड़ से दूसरे पहाड़

एक ही फल के कई-कई बीज
अलग-अलग उड़ते हुए
नहीं जान पाते
कि वे कितनी दूरी तय करेंगे
उगेंगे कहाँ किस मिट्टी में
जानते हैं इतना
जहाँ भी उगेंगे
एक जैसे पत्ते
एक जैसे होंगे फूल
फलेंगे एक ही मौसम में ।