बूँदन-बूँदन
झरे है बदरवा
हँसि-हँसि भीजति
झील रे !
पानी गावत राग मल्हरवा
मन-मीन पिअत
रस खींचि रे !
झूला-कजरी
गाएँ सखियाँ
लहरें नाचत झूमि रे !
घाट-घाट में
मेला लागत
जा ते
सावन से
अति प्रीति रे !
बूँदन-बूँदन
झरे है बदरवा
हँसि-हँसि भीजति
झील रे !