मैं बूँद हूँ फिर भी प्यासी हूँ
सहमी-सी एक उदासी हूँ
अनलिखी एक कविता हूँ मैं
बस इतनी बात ज़रा-सी हूँ
मैं बिन सीपी का मोती हूँ
दीपक के बिना इक जोती हूँ
है पास नहीं कुछ भी मेरे
फिर भी मैं हर पल खोती हूँ
जिसको चंदा सहला न सके
मैं ऐसी पूरनमासी हूँ
जो सपने पूरे हों न कभी
मैं उन सपनों का घेरा हूँ
जो रात से ज़्यादा काली हो
मैं उसी सुब्ह का चेहरा हूँ
जो किसी भी लब पर सज न सके
मैं ऐसी एक दुआ-सी हूँ