बड़ी होती बेटी के साथ
छोटा पड़ता जाता है समय
छोटा होता जाता है घर।
उसके छोटे-छोटे हाथों से फिसलकर
बड़ी होती जाती है जिन्दगी।
बड़ी हो जाती हैं उसकी आँखें
छोटे-छोटे कौतुहल समेटे।
बड़ी होती बेटी के साथ
छोटा पड़ता जाता है समय
छोटा होता जाता है घर।
उसके छोटे-छोटे हाथों से फिसलकर
बड़ी होती जाती है जिन्दगी।
बड़ी हो जाती हैं उसकी आँखें
छोटे-छोटे कौतुहल समेटे।