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बेसहारा / लालित्य ललित


घर के
जिस बुज़ुर्ग को
लोग बोरियत या पिटारा
बेकार व अनुपयोगी
समझ कर कतराते हैं
वे यह क्यूं भूल जाते हैं
कि यह बुजुर्ग
उम्र में अक्ल में
और अनुभव में
तुमसे बड़ा है और तुम्हारा
पिता है
यह व्यक्ति एक दिन में ही
बूढ़ा नहीं हुआ
इसने कितने वसंतों को -
तुमसे पहले देखा है, भोगा है
तुम्हें अपने हाथों में
अपनी गोदी में
अपने कंधे पर झुलाया है
कितनी बार तुम
इसी की पीठ पर
राजा बन -
कर मटके होगे
अपना शौक़ मार कर
इस व्यक्ति ने तुम्हें
आइसक्रीम खिलाई होगी
तनख़्वाह से पैसे
बचा-बचा कर
तुम्हें बढ़िया स्कूल में
पढ़ाया होगा
पिकनिक पर भेजा होगा
यह वही व्यक्ति है
जब तुम बीमार पड़ जाते थे
रात-रात भर जाग कर
मां का कर्त्तव्य इसी पिता ने -
निभाया था
यही बूढ़ा पिता आज -
बोझ बन गया !
इस बूढ़े पिता को
क्या चाहिए ?
दो मीठे बोल
सुबह शाम की चाय
दो वक्त का भोजन
और तुम्हारे साथ होने -
की तसल्ली
तुम्हें यह भी स्वीकार नहीं
क्यों नहीं छोड़ देते तुम यह -
आशियाना -
जो घर इस बूढ़े ने बनाया है
अपनी मेहनत से
- तुम क्यों छोड़ने लगे
तुम्हारे जैसे नालायक़ बेटे
अपनी-अपनी बहुओं की
गिऱत में वे केंचुए हैं
जो आसानी से
गटर का साथ नहीं छोड़ते
ये भूल जाते हो !
कि एक दिन तुम्हें भी -
वही होना है
जहां इस समय तुम्हारे -
पिता हैं
बेटा सुन रहा था
पड़ोसी काका की
धमकी जैसी थपकी
आज उसने अपनी ग़लती को -
स्वीकार लिया
बुज़ुर्ग पिता को
वही सम्मान, वही पद,
वही गरिमा प्रदान की
जो घर के मुखिया की थी
बूढ़ा पिता सूखा बरगद -
था जिसने अपनी छांव में -
आए पथिक को सहारा दिया
क्यों होते हैं ऐसे बेटे
ऐसा क्यों होता है ?
एक निःसंतान बुजु़र्ग दंपति ने
चाय पीते हुए
आपस में बात की
अच्छा ही है
ना हमारा कोई बेटा है
और ना बहू
नहीं तो हमें भी
कोना मिल जाता ?