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बोध / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

मोर नें
मोरनी सें कहलकै
जै देश में न्याय बिकै छै
बिक जाय छै पंचशाला जीव
जहाँ दोपहरिया में लूट जाय छै महिला
वैं देश के राष्ट्रीय पक्षी होय पर
हमरा शर्म आवै छै
आदमी के आवै कि नै।