इस डर से कि बच्चे
कहीं परिंदे बन उड न जाएं
हमारे क़द से भी बुलंद न होजाएं
बाग़ी न होजाएं
और हमारे साथ ही जीवन भर
बंधे रहें
हम उनकी तराश-खराश
कुछ इस प्रकार से करते हैं
कि वे हमारी सोच के गमलों से
जीवन भर बाहर न झाँक सकें
कितनी दर्दनाक है
टहनियों और जड़ों को तराशने की
यह बोन्साई प्रक्रिया.