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बोल / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

बोल

बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे
बोल, जबां अब तक तेरी है
तेरा सुतवां जिस्म है तेरा
बोल कि जां अब तक तेरी है

देख कि अहनगर की दुकां में
तुन्द हैं शोले, सुर्ख हैं आहन
खुलने लगे कुफलों के दहाने
फैला हर ज़ंजीर का दामन

बोल, ये थोडा वक़्त बहुत है
जिस्मो जबां के मौत से पहले
बोल कि सच जिंदा है अब तक
बोल कि जो कहना है कह ले

१. तना हुआ
२. लोहार
३. तेज़
४. लोहा
५. तालों के मुंह