नई कांन्ह ! नईं
थारौ म्हारौ ब्याव कोनी हो सकै !
बिनणी तौ जीतणी पड़ै।
गऊ सी किणी किन्या नै
जीतवा सारू
केई राजा भेळा हुवा होसी।
सै आप आप रै
भुजदंडां रौ बळ आंकसी।
कोई धनख तोड़णौ पड़सी,
कै वळै कोई अणहोणी करणी होसी
थारी भुजावां रौ बळ
कंवारी किन्या रै
घरवाळां रौ प्रण पूरौ करसी
अणजांण किन्या
अण जांण सूरवीर रै गळा में
बरमाळा पूरसी,
मावड़ बाबल हरख रा गीत गवासी,
खुसिया रा ढोल बजासी
छे‘ला मौ‘रत तांई
हारयोड़ा मनहीणा राजा
घमसांण मचावसी।
वांनै भरपूर हरायां
थारै आंगणियै रिमझिम करती
लाडी आवसी।