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भजन बिन जीव गयो बेकाम / संत जूड़ीराम

भजन बिन जीव गयो बेकाम।
दुख-सुख गाँठ बाँध अपने उर भज मन सीता राम।
मन को भाव भयों चौरासी पायो नहिं विश्राम।
बिन विश्वास त्रास भई तन में जग को भयो गुलाम।
शसि बिन रैन भियानक लागै भक्त बिना वर नाम।
कियें सिंगार नार ज्यौं डोलत पति बिन नहिं आराम।
राम नाम बिन मुक्त न पावे कोट करो गुण ग्राम।
जूड़ीराम सबै धोके हैं गृह-मंदर धन-धाम।