डरता हूं अपने सन्नाटे से
मेरे बचपन में
राख हुई झोपड़ी
का नीला धुआं
अब तक फैला है
मेरे भीतर
मैं उस धरती पर बिखरे भय से
डरा हुआ हूं आज तक
00
डरता हूं अपने सन्नाटे से
मेरे बचपन में
राख हुई झोपड़ी
का नीला धुआं
अब तक फैला है
मेरे भीतर
मैं उस धरती पर बिखरे भय से
डरा हुआ हूं आज तक
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