भव-चक्र यह सारा
यदि किसी आवाज़ का है रूप
तो यह कैसे हुआ-
तुम्हारी आवाज़ की लय हो पाना ही
मुक्ति है मेरी?
तुम्हारा भव ही
मेरा भाव है क्या-
और भव-चक्र ही है मुक्ति?
भव-चक्र यह सारा
यदि किसी आवाज़ का है रूप
तो यह कैसे हुआ-
तुम्हारी आवाज़ की लय हो पाना ही
मुक्ति है मेरी?
तुम्हारा भव ही
मेरा भाव है क्या-
और भव-चक्र ही है मुक्ति?