धरती अर कोख सारू हुवै सगळा एक जेड़ा- बीज । एक ई माटी सूं उगै आकड़ो अर आम ! कविता का हिंदी अनुवाद धरती और कोख के लिए होते हैं सब एक से बीज । एक ही माटी से ऊगते हैं आक और आम । अनुवाद : सतीश छीम्पा