Last modified on 28 जुलाई 2017, at 13:57

भाग्य / राजेश शर्मा ‘बेक़दरा’

बीज खुद में समेटे हैं पूरा वृक्ष
तना,
पत्ते,
फल,
बीज,
छाया,
अंकुरण उसका भाग्य
तुम में भी बिखेरे हैं
मैने प्रेम बीज
प्रेम,
प्रतीक्षा,
आलिंगन...
मेरा भाग्य