Last modified on 27 मार्च 2021, at 23:12

भात / अरविन्द श्रीवास्तव

भाड़ में जाओ दुनिया के खूबसूरत चेहरों
क्रांति गीत और लाल आकाश
प्रेम-मिलन के भावुक शब्दों
गंध की तलाश में भटकती आत्माओं
मेरी भावानाओं के सिपहसालारों
सिगरेट और माचिस के बुद्धिवर्धक डब्बों
नदी में आई बाढ़ रोकने वाले आभियंताओं..

जबतक भात नहीं मिल जाता कॉमरेड
मैं पूर्वी एशिया से बेदखल हूँ !